Thursday, November 19, 2009

क्योंकि मैं मुहब्बत हूँ !

साहिल पर लिखी हुई इबारत नहीं, जो लहरों से मिट जाये !

मैं बारिश की बरसती बूँद नहीं, जो बरस के थम जाये !!

मैं कोई ख्वाब नहीं, जिसे देख कर भुला दिया जाये !

मैं हवा का झोंका नहीं, आया और गुज़र गया !!

मैं चाँद नहीं, जो रात के बाद ढल गया !

मैं तो वो एहसास हूँ !

जो तुझ में लहु बन कर गर्दिश करे !!

मैं वो रंग हूँ !

जो तेरे दिल पर चढा रहे तो कभी ना उतरे !!

मैं वो गीत हूँ, जो तेरे लबों से कभी जुदा ना होगा !

मैं तो वो परवाना हूँ, जो जलता रहेगा पर उफ़ तक नहीं करेगा !!

ख्वाब, इबारत, हवा की तरह, चार बूँद शमा की तरह !

मेरे मिटने का सवाल ही नहीं !!

क्योंकि मैं मुहब्बत हूँ !

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