*** शुभ संध्या ***
रौशनी से भरे भरे
भरे भरे नैना तेरे
छूके बोले न छूना मुझे 
मैंने समय रोक के तेरा पता पूछा है 
मिली नदी से कहके सागर तले ढूँढा है 
ढूँढा है ढूँढा है तुझे आकाश ऊपर तले 
शायद किसी बद्री में लिपटी हुई तू मिले 
सपनों से भरे भरे 
भरे भरे नैना तेरे 
छूके बोले न छूना मुझे 
*** शुभ संध्या ***

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